Tuesday, December 6, 2011

श्री कृष्ण






तिरछा है किरीट कसा उसमें
तिरछा वनमाल पडा रहता है

तिरछी कटि काछनि है जिसमें
 सुख सिंधु सदा उमड़ा रहता है

तिरछे पद कुञ्ज कदम्ब तरे
 तिरछे दृग तान खड़ा रहता है

किस भांति निकाले कहो दिल से
तिरछा घनश्याम अड़ा रहता है .....

Monday, December 5, 2011

वृद्धों के सम्मान से लाभ

दानेन भोगी भवति मेधावी वृद्धसेवया
अहिंसया च दीर्घायुरिती प्रहुर्मनीषिणः  
 दानेन भोगी भवति मेधावी  वृद्ध                 

प्रेम

प्रेमैव मास्तु यदि चेत् सुजनेन मास्तु
तेनापि चेत् गुणवता न समं कदापि
तेनापि चेत्भवतु नैव कदापि भंगो
भंगोsपि चेत् भवतु प्राणविरामकाले ...........

मित्र महिमा

शोकारातिः भयत्राणां प्रीतिविश्रंभभाजिनम् 
केन रत्नमिदंसृष्टं मित्रमित्यक्षरद्वयं........