Sunday, September 2, 2012

डॉक्टर राधाकृष्णन





सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के एक पवित्र तीर्थ स्थल तिरुतनी में 5 september 1888  को हुआ था इनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी था जो कि विद्वान ब्राह्मण थे इनके पिता धार्मिक विचारों वाले इंसान थे लेकिन उन्होंने इनका प्रवेश तिरुपति के प्रसिद्ध क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल ,में कराया ये बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे अल्पायु में ही इन्होने बाइबल के महत्त्वपूर्ण अंश याद कर  सबको आश्चर्य में डाल दिया एवं विशेष योग्यता का सम्मान प्राप्त किया 1902 में मैट्रिक परीक्षा पास की तथा छात्रवृत्ति प्राप्त की कला संकाय में स्नातिकी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर दर्शन विषय में स्नातकोत्तर कर शीघ्र ही मद्रास के रेजीडेंस कोंलेज में दर्शन के प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए ............................


                                    डॉक्टर राधाकृष्णन ने अपने पांडित्यपूर्ण आलेखों और भाषणों के माध्यम से शेष विश्व में भारत के प्राचीन दर्शन कि परम्परा की ध्वज पताका फहराई अपनी तार्किक प्रतिभा के कारण ही इन्हें सन 1947-1949 तक संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य नियुक्त किया गया  बाद में पंडित जवाहर लाल नेहरु के आग्रह पर  सोवियत संघ के साथ भारतीय राजनयिक कार्यों कि पूर्ति हेतु 1952 तक वहाँ राजनयिक रहे एवं समय निकाल कर वहाँ के विश्वविद्यालय में पढाते भी थे क्योंकि वो एक सच्चे अध्यापक थे इसके बाद वो उपराष्ट्रपति बने 1962 में प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का कार्यकाल पूर्ण होने के कारण सवतंत्र भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने   अपने चुनौती से भरे कार्यकाल मे भारत का पाकिस्तान एवं चीन से युद्ध एवं चीन से पराजय तथा दो प्रधानमंत्रियों की मृत्यु जैसी विषम परिस्थितियों का सामना किया   1967 के गणतंत्र दिवस पर देश कों संबोधित करते हुए किसी भी सत्र में राष्ट्रपति न बनने का फैसला लिया और उसी पर दृढ़ रहे

                               शिक्षा ओर राजनीति में उत्कृष्ट योगदान हेतु इन्हें देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया 1975 में अमेरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार सम्मान प्राप्त करने वाले प्रथम गैर ईसाई बने जो कि धर्म और राजनीति के क्षेत्र में दिया जाता है एक आदर्श शिक्षक होने के कारण हम उनका जन्म दिन  शिक्षक  दिवस के रूप में मनाते हैं ..........


          17 april 1975 कों लम्बी बीमारी के कारण इनका निधन हो गया और हमारे बीच रह गयीं केवल उनकी मधुर स्मृतियाँ .........................